संविधान को बनने में 2 साल 11 महीने और 18 दिन लगे थे।
आर्टिकल 44, डायरेक्टिव प्रिंसिपल्स आफ स्टेट पॉलिसी का सब्जेक्ट मैटर है, जिसको लेकर हम न्यायालय में नहीं जा सकते हैं कि इसको लागू करवाया जाए। क्योंकि इस पर स्टेट बाउंड नहीं है.. वह चाहे तो इसे लागू करा सकता है।
तुष्टिकरण की राजनीति के चलते इस पर जोर नहीं दिया जाता है।
लेकिन आपको यह जानकर खुशी होगा कि अब इस समय सरकार समान नागरिक संहिता पर लोगों की राय मांग रही है।
सभी के लिए एक समान कानून होने से सामाजिक समरसता आएगी। लोकतंत्र में सभी को बराबरी का अधिकार मिलेगा धर्म पर आधारित कट्टरता में काफी हद तक कमी हो जाएगी।
आइए समझते हैं यूनिफॉर्म सिविल कोड होता क्या है और उसके लागू होने से क्या क्या बदलाव आयेंगे..
समान नागरिक संहिता दरअसल एक देश एक कानून की विचारधार पर आधारित है। यूसीसी के अंतर्गत देश के सभी धर्मों और समुदायों के लिए एक ही कानून लागू किए जाना है। समान नागरिक संहिता यानि यूनिफॉर्म सिविल कोड में संपत्ति के अधिग्रहण और संचालन, विवाह, तलाक और गोद लेना आदि को लेकर सभी के लिए एकसमान कानून बन जायेगा।
इसी तरह ईसाई और सिखों के लिए भी अलग पर्सनल लॉ हैं। इधर यूनिफॉर्म सिविल कोड के जरिए पर्सनल लॉ को खत्म करके सभी के लिए एक जैसा कानून होगा। यानी भारत में रहने वाले हर नागरिक के लिए निजी मामलों में भी एक समान कानून, चाहे वह किसी भी धर्म या जाति का क्यों न हो।
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