उन्होंने यह मांग किया कि उनके पति जिनसे उनका अभी तलाक नहीं हुआ है, उसके शांतिपूर्ण जीवन को खतरे में डालने की कोशिश कर रहा है, इसलिए उसे सुरक्षा प्रदान की जाए।
सरकार की तरफ से कहा गया कि याचिकाकर्ता पर पुरुष के साथ अवैध रूप से विवाहेत्तर संबंध में रह रही है। वह शादीशुदा है, तलाक नहीं हुआ है उसका पति अभी जीवित है।
कोर्ट ने कहा की हम लिव इन रिलेशनशिप के खिलाफ नहीं हैं लेकिन अवैध संबंधों के खिलाफ हैं। आगे कोर्ट ने कहा कि सामाजिक ताने-बाने की कीमत पर अवैध संबंधों को पुलिस सुरक्षा नहीं दी जा सकती हैं।
अवैध संबंध रखने वाले को सुरक्षा देने का अर्थ है कि अवैध विवाहेत्तर संबंध को मान्यता देना। इन्हीं सब बातों को ध्यान में रखते हुए कोर्ट ने याची की याचिका खारिज कर दी।
विवाह की पवित्रता में तलाक पहले से ही शामिल है। यदि याची को अपने पति के साथ कोई मतभेद है तो लागू कानून के अनुसार सबसे पहले उससे अलग होने के लिए उसे आगे बढ़ना होगा। पति के रहते हुए पत्नी को पर पुरुष के साथ अवैध संबंध में रहने की इजाजत नहीं दी जा सकती।
यदि मैं अपने स्वयं के विचार की बात करूं तो आज के समय में हम लोग कहीं ना कहीं वेस्टर्न कल्चर से प्रभावित हो रहे हैं। और इस बात को ध्यान देना चाहिए की वेस्टर्न कल्चर से हम अच्छी चीजों को लेकर नहीं प्रभावित हो रहे हैं बल्कि उन चीजों से प्रभावित हो रहे हैं जिनसे सामाजिक ताना-बाना बिगड़ेगा और बिगड़ रहा भी है।
बात नहीं मिल सकता है
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