Saturday 1 July 2023

यूनिफॉर्म सिविल कोड के लाभ! #UCC

Pradhanmantri Narendra Modi ji ki or se yah kahe jaane ke bad ki ek Ghar Mein do Kanoon nahin chal sakta hai...ke बाद यूनिफॉर्म सिविल कोड पर बातें तेज हो गई हैं।

Law commission ne logon se #UCC par unke Rai mange the. अभी तक लगभग 2000000 सुझाव मिल चुके हैं।


सबसे पहले बात करें अलग-अलग पंथो के लिए डिफरेंट लॉज होने के कारण कोर्ट का समय बर्बाद होता है, इससे कोर्ट का टाइम बचेगा।

डाइवोर्स का एक जनरल रूल सबके लिए लागू होगा।

सैकड़ों जटिल बेकार और पुराने लॉज से मुक्ति मिल जाएगी।

हम सभी जानते हैं कि डाइवोर्स का एक ग्राउंड है कि अगर कोई व्यक्ति नपुंसक है तो उस बेसिस पर उसकी पार्टनर डाइवोर्स ले सकती है, का लाभ समान रूप से मिलेगा।

पैतृक संपत्ति में पुत्र-पुत्री तथा बेटा-बहू को समान अधिकार प्राप्त होगा।

यदि डायवोर्स हो जाता है तो संपत्ति में पति-पत्नी को समान अधिकार मिलेगा।

वसीयत के मामले में, दान के मामले में, बंटवारे के मामले में, गोद लेने के मामले में समान कानून लागू होगा।

शाहबानो वाद 1985 के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने  कहा था कि यह अत्यधिक दुख का विषय है कि हमारे कॉन्स्टिट्यूशन का आर्टिकल 44 मृत अक्षर बनकर रह गया है। Sarkar sabhi nagrikon ke liye ek 'saman nagrik sanhita' banae, ise banane ke liye sarkari astar ke prayas karne ke sakshya nahin hai. saman nagrik sanhita virodhabhashi vicharon wale kanon ke prati prithakta bhav ko samapt kar rashtriy akhandata ke Lakshya ko prapt karne mein Sahyog karegi.

शायरा बानो वाद 2017 के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा हम, सरकार को निर्देश देते हैं कि वह उचित विधान बनाने पर विचार करें। हम आशा करते हैं कि वैश्विक पटल पर और इस्लामिक देशों में शरीयत में हुए सुधारों को ध्यान में रखते हुए एक कानून बनाया जायेगा। जब ब्रिटिश सरकार द्वारा भारतीय दंड संहिता के माध्यम से सबके लिए कानून लागू किया जा सकता है तो भारत के पीछे रहने का कोई कारण नहीं है।

आपको हम बता दें कि गोवा में पुर्तगाली शासन के समय 1870 से ही ऐसा कानून लागू है।

समान नागरिक संहिता इसलिए लागू नहीं हो पा रहा है या नहीं किया जा रहा है क्योंकि इसको डायरेक्टिव प्रिंसिपल आफ स्टेट पॉलिसी के सब्जेक्ट मैटर में रखा गया है। यह राज्यों पर निर्भर करता है कि वह आर्टिकल 44 को लागू करते हैं या नहीं। इसके लिए हम सुप्रीम कोर्ट या हाई कोर्ट नहीं जा सकते हैं कि राज्य आर्टिकल 44 को लागू करें। इसलिए वोट बैंक की राजनीति के कारण राज्य आर्टिकल 44 को लागू करने से बच रहे हैं। 



उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी जी कहते हैं कि प्रदेशवासियों से किए गए वादे के अनुरूप 30 जून को समान नागरिक संहिता का प्रारूप तैयार करने के लिए बनाई गई समिति ने अपना कार्य पूरा कर लिया है। जल्द ही देवभूमि उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता लागू की जाएगी।

                Ayush Jaiswal





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