Saturday 30 September 2023

हमारी केदारनाथ यात्रा 🔱🕉️😊🙏


केदारनाथ मंदिर के विषय में प्रचलित कथा के अनुसार, पांडवों की भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान शिव नें उन्हें हत्या के पाप से मुक्त कर दिया था....

केदारनाथ धाम की यात्रा के पहले केदारनाथ की कथा के बारे में आपको बता देते हैं। कहा जाता है महाभारत के युद्ध के बाद भगवान भोलेनाथ पांडवों से नाराज हो गए थे क्योंकि पांडव ने खुद ही अपने कुल का विनाश किया था। इन सब से नाराज होकर भगवान भोलेनाथ केदारनाथ चले गए थे और भैंस का रूप धारण कर लिए। जब पांडवों ने उनके पास पहुंचने की कोशिश की तो भगवान भोलेनाथ भैंस के रूप में भैंसों के झुंड के बीच में छुप गए। भीम को इस बात का पता लग गया कि भगवान भोलेनाथ भैंसे का रूप लेकर छुपे हुए हैं। भीम ने अपना विशालकाय शरीर बनाकर दोनों पैर पहाड़ों पर रखकर खड़े हो गए। वहां पर मौजूद सभी भैंस लोग भीम के पैर के नीचे से निकलने लगे लेकिन भगवान भोलेनाथ ने ऐसा नहीं किया। फिर जैसे ही भीम भगवान भोलेनाथ के पास दौड़े। भोलेनाथ जमीन में समाने लगे फिर भीम ने उनके पीठ के हिस्से को पकड़ लिया। इन सब चीजों से भगवान भोलेनाथ प्रसन्न हो गए भोलेनाथ को लगा कि ये लोग वास्तव में क्षमा मांगना चाहते हैं। भगवान भोलेनाथ ने उन लोगों को क्षमा कर दिया। जनश्रुति है कि इसका निर्माण पांडवों या उनके वंशज जन्मेजय द्वारा करवाया गया था। साथ ही यह भी प्रचलित है कि मंदिर का जीर्णोद्धार जगद्गुरु आदि शंकराचार्य ने करवाया था। मंदिर के पृष्ठभाग में शंकराचार्य जी की समाधि है। राहुल सांकृत्यायन द्वारा इस मंदिर का निर्माणकाल १०वीं व १२वीं शताब्दी के मध्य बताया गया है। वहां पर जो शिवलिंग का रूप है वह एक जानवर के पीठ के आकार में दिखाई देता है। 🔱🕉️😊🙏


अब बात करते हैं यात्रा के बारे में..
बाबा केदारनाथ जब आपको बुला ले तब आपको 
जाना है। सबसे पहले हम लोग हरिद्वार पहुंचे। हरिद्वार पहुंचने के बाद हम लोगों ने वहां पर एक गाड़ी बुक किया। हम लोगों को बाबा केदारनाथ के और बद्रीनाथ जी के दर्शन करने थे। केवल बाबा केदारनाथ के लिए गाड़ी 3 दिन के लिए बुक होना था और बद्रीनाथ जी के दर्शन के लिए गाड़ी दो दिन और बढ़कर टोटल 5 दिन के लिए बुक होना था। केवल केदारनाथ के लिए गाड़ी की बुकिंग के लिए 11000 का डिमांड था। और बद्रीनाथ भी जोड़ने के बाद 15000 का डिमांड था। बात करके हम चारों लोगों ने गाड़ी 14000 में बुक कर लिया। जहां पर हम लोगों ने गाड़ी बुक किया था वहीं पर हम लोगों ने अपना रजिस्ट्रेशन भी करवा लिया। आप सब भी अगर बाबा केदारनाथ जी के और बद्रीनाथ जी के दर्शन करने जाते हैं या चार धाम की यात्रा पर जाते हैं तो अपना रजिस्ट्रेशन जरूर करवा लेंगे। 


सुबह 8:00 बजे हम लोग गाड़ी से केदारनाथ जी के लिए निकल गए। रास्ते में हम लोगो ने नाश्ता पानी किया।  बीच-बीच में रुकते रुकते हुए रात में 8:00 बजे सोनप्रयाग पहुंच गए। हरिद्वार से सोनप्रयाग के बीच का 10% का रास्ता अच्छा नहीं है बाकी 90% रास्ते बहुत अच्छे हैं। सोनप्रयाग में हम लोगों ने जीएमवीएन के वेबसाइट से पहले से बुकिंग कर रखी थी। यदि आप ऑफ सीजन में जाते हैं तो आपको ऑनलाइन बुक करने की कोई आवश्यकता नहीं लेकिन अगर आप पीक सीजन में जाते हैं जब श्रद्धालु बहुत ज्यादा दर्शन करने आते हैं तो उसे समय ऑनलाइन बुकिंग कर लेना ही सबसे बेहतर होता है। 


सुबह हम लोग लगभग 5:00 बजे उठ गए। नहा धोकर 6:30 बजे तक सोनप्रयाग से गौरीकुंड के लिए निकल गए। सोनप्रयाग में ही आपको रजिस्ट्रेशन का जो QR कोड होता है वह स्कैन करवाना होता है। सोनप्रयाग से गौरीकुंड के लिए आपको गाड़ी पकड़ कर जाना होता है। गाड़ी का किराया ₹50 पर पर्सन लगा था। आधे घंटे बाद हम लोग गौरीकुंड में पहुंच गए। गौरीकुंड में कुछ नीचे जाने के बाद आपको गर्म पानी का स्रोत दिखाई देता है। गौरीकुंड में हम लोगों ने नाश्ते में पराठा लिया।  यदि आप पैदल जाना चाहते हैं तो बहुत अच्छा है क्योंकि यात्रा का आनंद पैदल में ही है लेकिन यदि आप पैदल नहीं चल सकते हैं तो ऑनलाइन हेलीकॉप्टर भी बुक कर सकते हैं। या घोड़े पर भी बैठ कर जा सकते हैं। घोड़े पर अगर बैठकर जाना चाहते हैं तो चढ़ाई करते समय आप घोड़े लीजिए लेकिन उतरते समय घोड़े लेने से बचिए। घोड़े का प्राइस लगभग आपका 1000 से लेकर ₹1500 एक साइड का पड़ता है। धीरे-धीरे ट्रैकिंग करते-करते हम लोग आगे बढ़ने लग। रास्ते में आपको जगह-जगह दुकाने मिल जाएगी। हर वस्तु का दाम अपने प्रिंट रेट से दुगना होता है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि उन लोगों का ट्रांसपोर्टेशन चार्ज बहुत ज्यादा पड़ जाता है। आपको वहां पर दुगना पैसा देने में कोई तकलीफ नहीं होगा। पानी आपको खरीदने की आवश्यकता नहीं है आप वहां पर झरने का पानी बोतल में भरकर पी सकते हैं। धीरे-धीरे चलते चलते लगभग हम लोग रात्रि में 8:00 बजे बाबा केदारनाथ जी के धाम में या कहे स्वर्ग में पहुंच गए। वहां पर भी हम लोगों ने ऑनलाइन जीएमवीएन की वेबसाइट से बेड बुक कर लिया था। बेड का प्राइस पर पर्सन ₹600 पड़ा था जिसमें खाना भी इंक्लूड था। यहां भी ध्यान देने की बात है अगर आप ऑफ सीजन में जाते हैं तो ऑनलाइन बुक करने की आवश्यकता नहीं है। रात्रि में आरती होने के बाद मंदिर का कपाट लगभग 8:00 बजे बंद हो गया था। ट्रैकिंग करते समय बहुत थकान होता है उसके लिए बहुत आराम आराम से रुक-रुक कर चले। अपने साथ लाठी जरूर कैरी करें जो की ₹20 से ₹30 के बीच में मिल जाता है। रात्रि में हम लोग साथ में दर्शन करके खाना खाकर आराम करने के लिए अपने टेंट में चले गए। सुबह 6:00 बजे सब लोग उठ गए। मैं अपनी बात बताऊं तो रात्रि में लगभग 4 से 5 बार मेरी नींद खुली। क्योंकि वहां पर मुझे हद से ज्यादा ठंड लग रहा था। रात्रि में टेंपरेचर लगभग 6 डिग्री सेल्सियस हो गया था। मुझे बार-बार सपने में यह आ रहा था कि घोड़े ले लो खच्चर ले लो रूम ले लो इस कारण रात्रि में मैं ठीक से सो नहीं पाया। सुबह वहां गर्म पानी के लिए हम लोगों ने ₹100 पर बाल्टी पर किया। दो बाल्टी गर्म पानी लेकर हम चारों लोगों ने नहा लिया क्योंकि वहां पर नहाना ही अपने आप में बहुत बड़ी बात है। आपको यह बता दें कि वहां पर रात में 10:00 बजे से लेकर सुबह 7:00 तक ही ठंड लगता है और उसके बाद ठंड नहीं महसूस होता है। लेकिन यदि आप दिसंबर के आसपास जाते हैं तो ठंड लगेगी। भोलेनाथ का ऐसा चमत्कार है कि आप जैसे ही दर्शन करते हैं आपके शरीर का सारा थकान मिनट में गायब हो जाता है। सुबह हम लोग दर्शन के लिए निकल गए। हम लोगों ने रात में भी दर्शन किया था। सुबह जब आप शिवलिंग के पास जाते हैं भगवान भोलेनाथ को स्पर्श करते हैं। इस अनुभव को शब्दों में नहीं बयान किया जा सकता। ऐसा प्रतीत हो रहा है कि हम साक्षात महादेव के घर के सामने आ गए हैं या उनके घर में आ गए हैं। भगवान भोलेनाथ के दर्शन करने के बाद और भगवान नंदी के दर्शन करने के बाद वहां से लगभग 1 किलोमीटर से 2 किलोमीटर की ऊंचाई पर भैरव बाबा के दर्शन के लिए निकल गए। भगवान भैरव बाबा को आप तेल चढ़ा सकते हैं। भगवान भोलेनाथ के लिए वहां पर प्रसाद लेकर हम लोगों ने चढ़ा दिया था। दर्शन करने के बाद लगभग 11:00 बजे हम लोगों ने भगवान भोलेनाथ की धाम के पास मंदिर के पास बने होटल में हम लोगों ने नाश्ता किया और नाश्ता करके पुनः गौरीकुंड के लिए पैदल चले आए। यहां पर मैं आपको बताना चाहूंगा कि उतरते समय मैं नंगे पैर आया था मुझे पूरे रास्ते में तनिक भी तकलीफ नहीं हुआ। भोलेनाथ की ऐसी महिमा है कि लगभग 60 किलोमीटर की ट्रैकिंग के बाद भी आपको जरा सभी तकलीफ नहीं महसूस होता है। तो इस तरह से हम लोगों ने भगवान भोलेनाथ के दर्शन किए। स्वर्ग की अनुभूति करना हो तो आप केदारनाथ जाइए। 


कुछ विशेष बातों का ध्यान रखें..
-रेनकोट साथ में जरूर रख ले।
-कम से कम समान carry करें..कोशिश करें बहुत कम से कम..बहुत हल्के से हल्का समान ही आपके पास हो।
-बुखार का, बदन दर्द का, सिर दर्द का दवा जरूर रखें।
-चलते समय झरनों के पास ज्यादा देर तक ना रुके।
-चलते समय पहाड़ की ओर होकर चलने की कोशिश करें क्योंकि अगर आप लापरवाही करेंगे तो घोड़े के टक्कर से आप नीचे गिर सकते हैं।

तो इस तरह से हम लोगों ने भगवान भोलेनाथ का दर्शन किया..