Wednesday 5 July 2023

अवैध संबंधों को नहीं दी जा सकती पुलिस सुरक्षा

इलाहाबाद हाईकोर्ट में एक महिला ने रिट दाखिल करके सुरक्षा की मांग करी जोकि लिव इन रिलेशनशिप में रह रही हैं। महिला ने अपना उम्र 37 साल बताया और बताया कि पति के यातनापूर्ण व्यवहार के कारण 6 जनवरी 2015 से ही दूसरे व्यक्ति के साथ स्वेच्छा से और शांतिपूर्वक रह रही हैं।

उन्होंने यह मांग किया कि उनके पति जिनसे उनका अभी तलाक नहीं हुआ है, उसके शांतिपूर्ण जीवन को खतरे में डालने की कोशिश कर रहा है,  इसलिए उसे सुरक्षा प्रदान की जाए। 

सरकार की तरफ से कहा गया कि याचिकाकर्ता पर पुरुष के साथ अवैध रूप से विवाहेत्तर संबंध में रह रही है। वह शादीशुदा है, तलाक नहीं हुआ है उसका पति अभी जीवित है। 

कोर्ट ने कहा की हम लिव इन रिलेशनशिप के खिलाफ नहीं हैं लेकिन अवैध संबंधों के खिलाफ हैं। आगे कोर्ट ने कहा कि सामाजिक ताने-बाने की कीमत पर अवैध संबंधों को पुलिस सुरक्षा नहीं दी जा सकती हैं।

अवैध संबंध रखने वाले को सुरक्षा देने का अर्थ है कि अवैध विवाहेत्तर संबंध को मान्यता देना। इन्हीं सब बातों को ध्यान में रखते हुए कोर्ट ने याची की याचिका खारिज कर दी।

विवाह की पवित्रता में तलाक पहले से ही शामिल है। यदि याची को अपने पति के साथ कोई मतभेद है तो लागू कानून के अनुसार सबसे पहले उससे अलग होने के लिए उसे आगे बढ़ना होगा। पति के रहते हुए पत्नी को पर पुरुष के साथ अवैध संबंध में रहने की इजाजत नहीं दी जा सकती। 


यदि मैं अपने स्वयं के विचार की बात करूं तो आज के समय में हम लोग कहीं ना कहीं वेस्टर्न कल्चर से प्रभावित हो रहे हैं। और इस बात को ध्यान देना चाहिए की वेस्टर्न कल्चर से हम अच्छी चीजों को लेकर नहीं प्रभावित हो रहे हैं बल्कि उन चीजों से प्रभावित हो रहे हैं जिनसे सामाजिक ताना-बाना बिगड़ेगा और बिगड़ रहा भी है।

बात नहीं मिल सकता है

तालिबान ने ब्यूटी पार्लर पर प्रतिबंध लगा दिया।

हम सभी जानते हैं कि इस समय अफगानिस्तान की सत्ता पर तालिबान काबिज है।

आए दिन हम कुछ ना कुछ तालिबान से संबंधित न्यूज़ आर्टिकल पढ़ते हैं

नया न्यूज़ यह निकल कर आ रहा है कि तालिबान ने महिलाओं की ब्यूटी पार्लर पर प्रतिबंध लगा दिया है। 
तालिबान ने देशभर के ब्यूटी पार्लरों को 1 महीने में अपना कारोबार समेटने का नोटिस थमाया है।

महिलाओं एवं लड़कियों की अधिकारों एवं उनकी स्वतंत्रता पर तालिबान ने फिर से यह नया प्रहार किया है।

 आपको मालूम हो की उन्हें शिक्षा, सार्वजनिक स्थलों पर जाने और रोजगार से वंचित किया जा चुका है। 



बैडमिंटन स्टार पीवी सिंधु जी

5 जुलाई 1995 में पीवी सिंधु जी का जन्म हुआ था। पीवी सिंधु जी 8 वर्ष की उम्र से ही बैडमिंटन खेलना शुरू कर दी थी। 

2009 में कोलंबो में 'सब जूनियर एशियाई बैडमिंटन चैंपियनशिप' खेलकर इन्होंने कांस्य पदक जीता था।

2012 में बैडमिंटन वर्ल्ड फेडरेशन के टॉप 20 रैंकिंग में इन्होंने जगह बनाई।

साथी साथ 2016 में रियो ओलंपिक में सबसे कम उम्र में भारत के लिए रजत पदक जीतने का रिकॉर्ड भी बनाया।

2021 में हुए टोक्यो ओलंपिक में कांस्य पदक जीतकर ओलंपिक पदक पाने वाली पहली भारतीय महिला खिलाड़ी बन गई।

Saturday 1 July 2023

सावन का महीना और भगवान शिव 🙏


भोलेनाथ जरा सी भक्ति से प्रसन्न हो जाते हैं और मनचाहा वरदान दे देते हैं। शायद इसीलिए भगवान भोलेनाथ को  औघड़दानी भी कहा जाता है। 

अर्धनारीश्वर कहे जाने वाले प्रभु भोलेनाथ स्त्रियों के सबसे प्रिय देवता माने जाते हैं। इसका प्रमुख कारण यह है कि अपनी जीवनसंगिनी के मान-सम्मान के लिए वह तांडव करने से नहीं चूकते हैं। जिस वजह से हर कन्या भगवान शिव से अपने लिए उनके जैसे वर की कामना करती है। भगवान शिव बातों-बातों में यह भी सीख दे देते हैं कि जहां आपका मान- सम्मान ना हो वहां नहीं जाना चाहिए।

भगवान शिव को बेलपत्र, भांग, धतूरा, सांप, बिच्छू, और से जीव जंतु प्रिय लगते हैं।

प्रभु भोलेनाथ से संबंधित आगे की बात करें, सावन शुरू होने वाला है। सावन शुरू होने का अर्थ है वर्षा ऋतु की शुरुआत। वर्षा ऋतु की शुरुआत के बाद प्रकृति हरियाली से परिपूर्ण हो जाता है। सावन शुरू होने के साथ-साथ चौमासा भी शुरू हो जाता है। चौमासा या चातुर्मास के समय कोई भी शुभ कार्य करना वर्जित माना जाता है।

ऐसा कहा जाता है कि चौमासा में संसार के पालन का सारा भार भगवान विष्णु, भगवान शिव को सौंप देते हैं।

आपको यह भी जानना चाहिए कि सावन में गलत आचरण करने वाला व्यक्ति अक्षम्य पाप का भागी बनता है।

सावन में प्रभु भोलेनाथ की पूजा का विशेष महत्व इसलिए भी है क्योंकि देवी पार्वती ने भगवान भोलेनाथ को वर के रूप में पाने के लिए इसी माह में कठोर तपस्या की थी।

भगवान शिव की पूजा बेलपत्र, भांग, धतूरा आदि से की जाती है । इसका तात्पर्य है कि उन्हें प्रकृति से विशेष लगाव है, और उन्हें ऐसी वस्तुएं प्रिय है जो सबके लिए सुलभ है।

चाहे विवाहित हो या अविवाहित सभी को सावन में मेहंदी अवश्य लगाना चाहिए। साथ ही हरे रंग की चूड़ियां अवश्य पहननी चाहिए इससे मां गौरी अत्यंत प्रसन्न होती हैं क्योंकि उन्हें प्रकृति का हरा रंग बहुत पसंद है। 

बहुत से स्थानों पर यह भी मान्यता है कि शादी के बाद सावन में मायके जाकर त्यौहार मनाने से पति की उम्र लंबी होती है और दांपत्य जीवन खुशहाल रहता है।

सावन में ही भाई-बहन के स्नेह का प्रतीक रक्षाबंधन का त्यौहार भी आता है।

मेहंदी की बात करें तो हाथों में मेहंदी रचाने की परंपरा केवल श्रृंगार हेतु नहीं है और ना ही केवल इसका धार्मिक कारण है। मेहंदी का वैज्ञानिक महत्व भी है । मेहंदी दिमाग को शांत रखने के साथ ही उसे ऊर्जावान भी बनाती है। माना जाता है कि जिस लड़की की मेहंदी जितना रंग लाती है उसको उतना ही पति और ससुराल से प्रेम मिलता है।

AJ 



यूनिफॉर्म सिविल कोड के लाभ! #UCC

Pradhanmantri Narendra Modi ji ki or se yah kahe jaane ke bad ki ek Ghar Mein do Kanoon nahin chal sakta hai...ke बाद यूनिफॉर्म सिविल कोड पर बातें तेज हो गई हैं।

Law commission ne logon se #UCC par unke Rai mange the. अभी तक लगभग 2000000 सुझाव मिल चुके हैं।


सबसे पहले बात करें अलग-अलग पंथो के लिए डिफरेंट लॉज होने के कारण कोर्ट का समय बर्बाद होता है, इससे कोर्ट का टाइम बचेगा।

डाइवोर्स का एक जनरल रूल सबके लिए लागू होगा।

सैकड़ों जटिल बेकार और पुराने लॉज से मुक्ति मिल जाएगी।

हम सभी जानते हैं कि डाइवोर्स का एक ग्राउंड है कि अगर कोई व्यक्ति नपुंसक है तो उस बेसिस पर उसकी पार्टनर डाइवोर्स ले सकती है, का लाभ समान रूप से मिलेगा।

पैतृक संपत्ति में पुत्र-पुत्री तथा बेटा-बहू को समान अधिकार प्राप्त होगा।

यदि डायवोर्स हो जाता है तो संपत्ति में पति-पत्नी को समान अधिकार मिलेगा।

वसीयत के मामले में, दान के मामले में, बंटवारे के मामले में, गोद लेने के मामले में समान कानून लागू होगा।

शाहबानो वाद 1985 के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने  कहा था कि यह अत्यधिक दुख का विषय है कि हमारे कॉन्स्टिट्यूशन का आर्टिकल 44 मृत अक्षर बनकर रह गया है। Sarkar sabhi nagrikon ke liye ek 'saman nagrik sanhita' banae, ise banane ke liye sarkari astar ke prayas karne ke sakshya nahin hai. saman nagrik sanhita virodhabhashi vicharon wale kanon ke prati prithakta bhav ko samapt kar rashtriy akhandata ke Lakshya ko prapt karne mein Sahyog karegi.

शायरा बानो वाद 2017 के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा हम, सरकार को निर्देश देते हैं कि वह उचित विधान बनाने पर विचार करें। हम आशा करते हैं कि वैश्विक पटल पर और इस्लामिक देशों में शरीयत में हुए सुधारों को ध्यान में रखते हुए एक कानून बनाया जायेगा। जब ब्रिटिश सरकार द्वारा भारतीय दंड संहिता के माध्यम से सबके लिए कानून लागू किया जा सकता है तो भारत के पीछे रहने का कोई कारण नहीं है।

आपको हम बता दें कि गोवा में पुर्तगाली शासन के समय 1870 से ही ऐसा कानून लागू है।

समान नागरिक संहिता इसलिए लागू नहीं हो पा रहा है या नहीं किया जा रहा है क्योंकि इसको डायरेक्टिव प्रिंसिपल आफ स्टेट पॉलिसी के सब्जेक्ट मैटर में रखा गया है। यह राज्यों पर निर्भर करता है कि वह आर्टिकल 44 को लागू करते हैं या नहीं। इसके लिए हम सुप्रीम कोर्ट या हाई कोर्ट नहीं जा सकते हैं कि राज्य आर्टिकल 44 को लागू करें। इसलिए वोट बैंक की राजनीति के कारण राज्य आर्टिकल 44 को लागू करने से बच रहे हैं। 



उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी जी कहते हैं कि प्रदेशवासियों से किए गए वादे के अनुरूप 30 जून को समान नागरिक संहिता का प्रारूप तैयार करने के लिए बनाई गई समिति ने अपना कार्य पूरा कर लिया है। जल्द ही देवभूमि उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता लागू की जाएगी।

                Ayush Jaiswal