Tuesday 6 June 2023

भागलपुर पुल

बिहार के भागलपुर में गंगा नदी पर निर्माणाधीन पुल का दूसरी बार ढहना भ्रष्टाचार की पराकाष्ठा है। शर्मनाक केवल यह नहीं कि यह निर्माणाधीन पुल दूसरी बार गिरा, बल्कि यह भी है कि यह नौ साल से बन रहा है, लेकिन पूरा होने का नाम नहीं ले रहा। यह लेट-लतीफी इसलिए हैरान करने वाली है कि अभी हाल में संसद का नया भवन तैयार हुआ है। यह करीब ढाई वर्ष में बनकर तैयार हो गया। क्या यह विचित्र नहीं कि संसद का नया भवन तो लगभग ढाई वर्ष में बन गया, लेकिन एक पुल नौ वर्ष में भी नहीं बन पाया? यह तब है, जब इस पुल को नीतीश सरकार का ड्रीम प्रोजेक्ट बताया जा रहा है। जब सरकार की प्राथमिकता वाले प्रोजेक्ट की यह दुर्गति है तो यह सहज ही समझा जा सकता है कि अन्य परियोजनाओं की क्या स्थिति होगी? बिहार सरकार कुछ भी कहे, इस पुल का दोबारा गिर जाना उसकी बदनामी कराने वाला है और इसके लिए वह अन्य किसी को जिम्मेदार नहीं ठहरा सकती। पुल के गिरने पर बिहार सरकार की प्रतिक्रिया निराश करने वाली है। आखिर यह कहने का क्या अर्थ कि ठीक से नहीं बन रहा था, इसलिए गिर जा रहा है ? प्रश्न यह है कि ठीक से न बनने की जवाबदेही किसकी है? इस पुल के फिर से गिर जाने से यह भी पता चलता है कि बिहार बदहाली से बाहर क्यों नहीं निकल पा रहा है? इस पुल के ढांचे का दूसरी बार गिरना यह भी बताता है कि जब यह पहली बार गिरा तो जरूरी सबक सीखने से इन्कार किया गया।

दैनिक जागरण न्यूज