Friday 10 June 2016

वाह रे जमाने तेरी हद हो गई,





🌷 बीवी के आगे माँ रद्द हो गई !
🌷 बड़ी मेहनत से जिसने पाला,
🌷 आज वो मोहताज हो गई !
🌷 और कल की छोकरी,
🌷 तेरी सरताज हो गई !
 बीवी हमदर्द और माँ सरदर्द हो गई !
🌷 वाह रे जमाने तेरी हद हो गई.!!

🌷 पेट पर सुलाने वाली,
🌷 पैरों में सो रही !
🌷 बीवी के लिए लिम्का,
🌷 माँ पानी को रो रही !
🌷 सुनता नहीं कोई, वो आवाज देते सो गई !
🌷 वाह रे जमाने तेरी हद हो गई.!!

🌷 माँ मॉजती बर्तन,
🌷 वो सजती संवरती है !
🌷 अभी निपटी ना बुढ़िया तू ,
🌷 उस पर बरसती है !
🌷 अरे दुनिया को आई मौत,
🌷 तेरी कहाँ गुम हो गई !
🌷 वाह रे जमाने तेरी हद हो गई .!!

🌷 अरे जिसकी कोख में पला,
🌷 अब उसकी छाया बुरी लगती,
🌷 बैठ होण्डा पे महबूबा,
🌷 कन्धे पर हाथ जो रखती,
🌷 वो यादें अतीत की,
🌷 वो मोहब्बतें माँ की, सब रद्द हो गई !
🌷 वाह रे जमाने तेरी हद हो गई .!!

🌷 बेबस हुई माँ अब,
🌷 दिए टुकड़ो पर पलती है,
🌷 अतीत को याद कर,
🌷 तेरा प्यार पाने को मचलती है !
🌷 अरे मुसीबत जिसने उठाई, वो खुद मुसीबत
 हो गई !
🌷 वाह रे जमाने तेरी हद हो गई .!!

🌷 मां तो जन्नत का फूल है,
प्यार करना उसका उसूल है ,
🌷दुनिया की मोह्ब्बत फिजूल है ,
🌷 मां की हर दुआ कबूल है ,
🌷 मां को नाराज करना इंसान तेरी भूल है ,
🌷 मां के कदमो की मिट्टी जन्नत की धूल है ,

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