Saturday, 12 August 2023

इंडियन पीनल कोड, क्रिमिनल प्रोसीजर कोड और इंडियन एविडेंस एक्ट को खत्म किया जाएगा।

गृह मंत्री अमित शाह ने शुक्रवार को लोकसभा में आईपीसी, सीआरपीसी, और इंडियन एविडेंस एक्ट में ब्रिटिश काल के कानूनों को बदलने के लिए विधेयक पेश कर दिया है।

इंडियन पीनल कोड, क्रिमिनल प्रोसीजर कोड और इंडियन एविडेंस एक्ट को खत्म किया जाएगा।

उनकी जगह भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम आ जाएगा।

सरकार का कहना है कि पुराने कानूनों का उद्देश्य था दंड देना और जो प्रस्तावित विधेयक है उसका उद्देश्य न्याय दिलाना है।

विवाह मामलों में प्रोविजन सख्त हो जाएंगे।

इस बदलाव के बाद यदि कोई सजा पाया है तो सरकार के पास उसकी सजा को कम करने का अधिकार होगा लेकिन माफ करने का नहीं।

SMS या ईमेल से भेजे जा सकेंगे सम्मन और चालान।

7 वर्ष से अधिक की सजा वाले मामले में फॉरेंसिक टीम का इस्तेमाल जरूरी होगा।

डिजिटल उपकरण और उससे मिले दस्तावेजों को साक्ष्य के रूप में कानूनी मान्यता मिलेगी।

संगठित अपराधियों की संपत्तियों को जब्त करने का प्रोविजन होगा।

पुलिस को FIR के 90 दिनों के भीतर करनी होगी चार्जशीट।

कोर्ट को सुनवाई पूरी होने के 30 दिनों के अंदर सुनाना होगा अपना फैसला।

राजद्रोह कानून खत्म हो जाएगा।

मॉब लिंचिंग के लिए अलग से सजा का प्रोविजन डाला गया है।

मान लीजिए  किसी चोर को भीड़ मार देती है तो उन सभी को मोब लिंचिंग के प्रस्तावित कानून के तहत सजा होगी।

प्रस्तावित कानून में पहचान छिपाकर या नौकरी, प्रोन्नति दिलाने के झूठे वादे कर दुष्कर्म के लिए सजा का प्रविधान किया गया है।  लव जिहाद के मामले इसी के तहत कवर हो जाएंगे।

राष्ट्र की संप्रभुता के विरुद्ध अपराधों के लिए अलग से सजा का प्रविधान किया गया है।

देश की संप्रभुता और सुरक्षा को खतरे में डालने वाली फर्जी खबर या भ्रामक जानकारी फैलाने वाले लोगों के खिलाफ सरकार सख्त कानून बनाने जा रही है। विधेयक में कहा गया है कि अगर कोई व्यक्ति भारत की संप्रभुता, एकता और अखंडता या सुरक्षा को खतरे में डालने वाली झूठी या भ्रामक खबर बनाता है या प्रकाशित करता है तो उसे 3 साल तक की जेल की सजा दी जाएगी या फिर उस पर जुर्माना लगाया जा सकता है या दोनों सजाएं एक साथ दी जा सकती हैं।

गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि इन कानूनों में अत्याधुनिक तकनीक का इस तरह से प्रविधान किया गया है कि अगले 50 वर्षों तक इनमें बदलाव की जरूरत ना पड़े।



सोर्स- #DainikJagran



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